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🌾 सोना-मोती: बागपत के खेतों में लौटी हड़प्पा युग की गेहूं की विरासत

2000 साल पुरानी गेहूं की प्राचीन किस्म

👉 जब पूरा देश नई तकनीकों और हाईब्रिड बीजों की दौड़ में शामिल है, तब एक किसान ने इतिहास की ओर देखा — और जो खोज निकाला, वो सिर्फ खेती नहीं, एक धरोहर की वापसी है।

हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के सिसाना गांव के किसान सुनील चौहान की, जिन्होंने 2000 साल पुरानी गेहूं की प्राचीन किस्म “सोना-मोती” की खेती शुरू कर एक नई मिसाल कायम की है।


🌱 आधुनिक दौर में पारंपरिक बीज की वापसी

आमतौर पर आज के किसान अधिक उत्पादन और तेज मुनाफे के लिए हाइब्रिड या संशोधित बीजों पर निर्भर रहते हैं, लेकिन सुनील चौहान ने सेहत और विरासत दोनों को प्राथमिकता दी।

उन्होंने अपने खेत में करीब ढाई बीघा जमीन पर सोना-मोती गेहूं की बुवाई की है, जिसकी फसल अब तैयार है। खेत में लहलहाती बालियों को देखकर बंपर पैदावार की उम्मीद जताई जा रही है।


🧬 बीज मिला वैज्ञानिक से – सीधा देहरादून से

इस दुर्लभ किस्म के बीज देहरादून के एक पूर्व कृषि वैज्ञानिक से प्राप्त हुए।
सुनील बताते हैं कि उन्हें 15 क्विंटल गेहूं का उत्पादन होने की उम्मीद है – यानी न केवल पौष्टिकता, बल्कि पैदावार में भी यह किस्म निराश नहीं कर रही।


❤️ सेहत की खान है सोना-मोती

यह गेहूं की किस्म सिर्फ खेती के लिए नहीं, बल्कि सेहत के लिए वरदान मानी जाती है।

सेहत से जुड़े फायदेविवरण
🔹 कम ग्लूटेनपाचन में हल्का, एलर्जी की आशंका कम
🔹 लो ग्लाइसेमिक इंडेक्सडायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए लाभकारी
🔹 हाई न्यूट्रिशनप्रोटीन, फाइबर, मिनरल्स व विटामिन अधिक मात्रा में
🔹 हार्ट हेल्दीहृदय रोगियों के लिए बेहतर विकल्प

💰 कीमत में सोना, स्वाद में मोती

सोना-मोती गेहूं की कीमत आज के बाजार में ₹80 से ₹150 प्रति किलो तक पहुंच चुकी है।
जहां सामान्य गेहूं ₹25-30 किलो बिकता है, वहीं यह किस्म 3 से 5 गुना अधिक लाभ देती है।

👉 हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाने वाले लोग और ऑर्गेनिक उत्पादों के खरीदार इस गेहूं की जबरदस्त मांग कर रहे हैं।


🏺 हड़प्पा से खेत तक – एक ऐतिहासिक सफर

सुनील चौहान के अनुसार, यह गेहूं हड़प्पा सभ्यता की विरासत है। इसका उल्लेख पुरातात्विक रिपोर्ट्स और ऐतिहासिक ग्रंथों में मिलता है।

तुलनासोना-मोतीसामान्य गेहूं
दानागोललंबा
पौधे की ऊँचाई2 फीट3-4 फीट
गिरने की आशंकाकम (कम ऊंचाई)ज़्यादा (तेज हवा में टूटने का डर)

👨‍🌾 कृषि अधिकारी भी हुए प्रभावित

जिला कृषि अधिकारी बाल गोविंद यादव ने भी सोना-मोती गेहूं की प्रशंसा की और कहा कि,

“यह गेहूं पोषक तत्वों से भरपूर है और कई बीमारियों के लिए लाभकारी भी। किसानों द्वारा किए जा रहे ऐसे प्रयोग कृषि के लिए शुभ संकेत हैं।”


📢 निष्कर्ष: परंपरा में ही भविष्य की राह

“सोना-मोती” सिर्फ एक फसल नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, सेहत और खेत की मिट्टी से जुड़ी पहचान है।
जब सुनील जैसे किसान इतिहास को वर्तमान से जोड़कर भविष्य को बेहतर बना सकते हैं, तो आप भी क्यों नहीं?


📦 Call to Action:

क्या आप भी पारंपरिक, पोषक और लाभकारी खेती की ओर बढ़ना चाहते हैं?
👉 अपने नज़दीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें
👉 देसी बीजों की तलाश करें
👉 और अगली बुआई में “सोना-मोती” जरूर आज़माएं!

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