क्योंकि अधिकारी वाटर स्ट्रोम लाइन डालना भूल गए थे और जिस सड़क को खोदा वहां पर हकीकत में स्टार्म वॉटर लाइन डालने की जरूरत भी नहीं है, क्योंकि 2 से 3 फीट सड़क का ढाल दिया हुआ है
अगर पैसा अपना हो तो उपयोग होता है और अगर पैसा सरकारी हो तो दुरूपयोग । ये कोई कहावत नहीं है , ये सच्चाई है। बिना प्लानिंग टेंडर निकलना, फिर बिना प्लांनिग काम करना और काम पर ध्यान देने की वजाय अपने-अपने कमीशन पर ध्यान देना और जब काम कम्पलीट हो जाये तो किसी की शिकायत पर ध्यान आना कि, अरे रोड तो बना दी अब वाटर लाइन या टेलीफोन लाइन डालनी बाकी है। तो जो करोड़ों रूपए की रोड थी उसे बिना सोचे समझे खोद दी जाये , जिसका अभी तक जनता ने सुख भी नहीं लिया और नयी फाइल तैयार करो, नया कमाने का समय आ गया है। आप अधिकारी है आप की बड़ी पोजीशन है आपके पास पावर है आप सम्मानीय है , लेकिन ऐसा काम क्यों कि करोड़ों रूपए का काम हो रहा है और किसी को खबर तक नहीं है। अरे ज्यादा नहीं तो अपने ओहदे का सम्मान रख लो या फिर इज्जत खोने से डरो। ऐसे ही होनहार और अद्भुत काम हम रोज़ अपने चारों तरफ देखते है। कुछ दिनों पहले ही राजधानी भोपाल में विश्व स्तर का 90 डिग्री पुल बना था। आप सब ने उसके बारे में सुना ही होगा। वो मामला शांत हुआ नहीं कि आज इंदौर शहर में खबर आ रही कि तीन इमली बस स्टैंड के पास एक आरसीसी रोड तैयार की जा रही थी। जिससे कुछ महीनो से वहां के रहवासियों और रोज़ वहां से निकलने वाले लोग ट्रैफिक जाम में परेशान हो रहे थे। चार बार तो में भी उस जाम में फ़स चुका हूँ।
अब इंदौर जहां एक तरफ व्यक्ति सड़कों पर गड्ढे और उन् पर भरा बारिश के पानी से परेशान था। वही तीन इमली पर अभी नयी-नयी बनी सड़क को खोदने का काम स्टार्ट हो गया है , क्योंकि अधिकारी वाटर स्ट्रोम लाइन डालना भूल गए थे। लेकिन किसी व्यक्ति की शिकायत पर महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव ने अचानक तीन इमली पहुंचकर काम का संज्ञान लिया। और अधिकारीयों को इस बात के लिए बहुत डांट लगाई |

इस पर नाराज होते हुए महापौर ने निगम के अफसरों से पूछा कि जब स्टार्म वॉटर लाइन डालना थी, तो सड़क बनने के पहले क्यों नहीं डाली गई। दूसरी तरफ इस मामले में एक और नई जानकारी यह सामने आई कि जिस सड़क को खोदा वहां पर हकीकत में स्टार्म वॉटर लाइन डालने की जरूरत भी नहीं है, क्योंकि 2 से 3 फीट सड़क का ढाल दिया हुआ है ।
महापौर जी को एक रहवासी ने वीडियो भेजकर नई बनी हुई सड़क की खुदाई की जानकारी दी, उसके बाद महापौर जी खुद मौके पर पहुंचे और उन्होंने अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर, झोनल अधिकारी अतीक खान सहित ठेकेदार और कंसल्टेंट एजेंसी के प्रतिनिधियों को बुलाया। महापौर ने स्पष्ट पूछा कि नयी बनी हुई सड़क क्यों खोदी और स्ट्रॉम लाइन पहले डालना थी । महापौर जी के साथ मौके पर पहुंचे जनकार्य समिति प्रभारी राजेन्द्र राठौर का कहना है कि झोनल कार्यालयों में मनमर्जी से फाइलें बना ली जाती है, बिना साइट की हकीकत को जाने । जिस बनी सड़क को स्टार्म वॉटर लाइन डालने के लिए खोदा गया, वहां पर हकीकत में लाइन डालने की आवश्यकता ही नहीं है, क्योंकि पहले से ही सड़क का ढाल पर्याप्त दिया गया है, जिसके चलते सड़क का पानी आसानी से बह जाएगा। बावजूद इसके अगर लाइन डालने की जरूरत महसूस भी हुई तो कम से कम सड़क बनने से पहले लाइन डाल देते। इससे निगम को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ रहवासियों की परेशानी भी कम होती । महापौर जी ने कंसल्टेंट को भी फटकार लगाई कि किस तरह की मॉनिटरिंग की जा रही है। यहां तक कि अधिकारी इस बात का भी जवाब नहीं दे पाए कि सड़क बनने के बाद उस इलाके में जल जमाव की कोई शिकायत मिली अथवा नहीं और स्टार्म वॉटर लाइन डालना क्यों जरूरी लगा ? दरअसल, नगर-निगम में पूर्व में भी इस तरह की फाइलें बनकर परवारे ही काम करवा लिए जाते हैं। महापौर जी ने ये भी निर्देश दिए कि इस मामले के जिम्मेदारों पर कार्रवाई करें और एजेंसी को ब्लैक लिस्ट करते हुए पेनल्टी लगाते हुए इस नुकसान भरपाई भी कंसल्टिंग एजेंसी से की जाए। अभी निगमायुक्त दिलीप कुमार यादव भी स्पष्ट निर्देश दे चुके हैं कि सड़क निर्माण से पहले ही सभी तरह की लाइनें डाल दी जाए, ताकि बाद में फिर से खुदाई ना करना पड़े ।
ठेकेदारों को सड़कों के काम तुरंत पूर्ण करने के दिए निर्देश
कल नगर निगम के जनकार्य समिति प्रभारी ने पालिका प्लाजा में मास्टर प्लान की 23 सड़कों का निर्माण करने वाली 23 सड़कों के ठेकेदार फर्म, निगम इंजीनियरों को निर्देश दिए गए कि अब चूंकि बारिश का मौसम बीत गया है और फटाफट सड़कों के काम शुरू किए जाएं। हालांकि बीते दो-तीन दिनों से मावठे की बारिश के कारण भी पेंचवर्क सहित अन्य निर्माण कार्य फिर से प्रभावित हुए हैं। जनकार्य समिति प्रभारी राजेन्द्र राठौर के मुताबिक, ठेकेदार एजेंसियों को कहा गया है कि वे अपने साधन-संसाधन जुटा लें, ताकि अगले डेढ़ से दो वर्षों में ये सभी सड़कें बन सकें। अगर कोई एजेंसी काम में लापरवाही या ढील – पोल बरतेगी तो उसे काम भी वापस भी लिया जा सकता है। और भविष्य में उसे अन्य काम नहीं दिया जावेगा।
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