22 अप्रैल 2025, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में उत्तर प्रदेश के कानपुर निवासी शुभम द्विवेदी की मौत हो गई, जो अपनी पत्नी एशान्या के साथ कश्मीर घूमने आए थे। इस हमले को लेकर अब कई नए खुलासे सामने आ रहे हैं, जिनसे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या इस त्रासदी को रोका जा सकता था?
‘हथियार पहले से नहीं थे, सप्लाई किए गए’ – बड़ा खुलासा
शुभम की पत्नी एशान्या ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कई चौंकाने वाले खुलासे किए। उनका कहना है कि आतंकवादी एके-47 जैसे हथियार लेकर नहीं आए थे, बल्कि उन्हें वहीं किसी स्थानीय व्यक्ति या समूह ने हथियार मुहैया कराए।
“वे आम कपड़े पहने हुए थे, उनके पास शुरुआत में कोई हथियार नहीं था। शायद जो लोग शूट और शॉल बेच रहे थे, उन्होंने ही उन्हें हथियार दिए,” – एशान्या द्विवेदी
इस बयान ने स्थानीय तंत्र और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
‘अगर नेटवर्क की बात सही बताई जाती, तो हम ऊपर कभी नहीं जाते’
घटना से पहले शुभम ने एक स्थानीय घोड़े वाले से पूछा था कि ऊपर नेटवर्क रहता है या नहीं। घोड़े वाले ने जवाब दिया — “फुल नेटवर्क है।” लेकिन एशान्या बताती हैं कि यह भ्रामक जानकारी जानलेवा साबित हुई।
“अगर वो बता देता कि ऊपर नेटवर्क नहीं आता, तो हम कभी नहीं जाते। लेकिन उसने ज़ोर देकर कहा कि ऊपर बहुत सुंदर है।”
घोड़े वालों और स्थानीय गाइड्स की भूमिका को लेकर अब सुरक्षा एजेंसियां भी सतर्क हो गई हैं।
एक संदिग्ध चरवाहा – सिर्फ संयोग या कुछ और?
एशान्या ने बताया कि वहां एक व्यक्ति अकेला भेड़ चरा रहा था, जो उन्हें असामान्य लगा। वह पूरी तरह से ढका हुआ था और बहुत बड़े मैदान में अकेला था।
“मुझे नहीं पता वह संदिग्ध था या नहीं, लेकिन उसकी मौजूदगी असामान्य थी। अब सोचती हूं कि कहीं वो कुछ छिपाए हुए तो नहीं था?”
पर्यटकों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल
हमले से पहले तक परिवार को भारतीय सेना की मौजूदगी से सुरक्षा का भरोसा था। लेकिन हमले के दौरान जिस तरह से आतंकी अचानक प्रकट हुए और हमला किया, उसने सुरक्षा प्रबंधन को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
“आसपास सेना के जवान दिख रहे थे, इसलिए हमें किसी अनहोनी का अंदेशा नहीं था। पर अब लगता है कि कुछ लोग पहले से हमारी टोह ले रहे थे।”
सरकार ने लिए कड़े फैसले, लेकिन क्या काफी हैं?
इस हमले के बाद भारत सरकार ने आतंकियों और उनके समर्थन करने वाले नेटवर्क के खिलाफ कई अहम फैसले लिए हैं। पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी गई है और घाटी में सुरक्षा व्यवस्था को फिर से मजबूत किया जा रहा है।
पर सवाल यह है — क्या इससे उन परिवारों के जख्म भर सकेंगे जिन्होंने अपने अपने प्रियजनों को खो दिया?
🕒 हमले की टाइमलाइन: 22 अप्रैल 2025
| समय | घटना विवरण |
|---|---|
| सुबह 10:00 | पर्यटक बैसारन घाटी में पहुंचे, जो घोड़े या पैदल ही पहुंचा जा सकता है। |
| सुबह 11:15 | पांच आतंकवादी सैन्य वर्दी में, AK-47 और M4 कार्बाइन से लैस होकर जंगल से निकले। |
| सुबह 11:20 | आतंकवादियों ने पर्यटकों को रोका, उनके धर्म के बारे में पूछा, और हिंदू पुरुषों को गोली मारनी शुरू की। |
| सुबह 11:30 | स्थानीय पोनी ऑपरेटर सैयद आदिल हुसैन शाह ने आतंकवादियों को रोकने की कोशिश की और मारे गए। |
| दोपहर 12:00 | एक पर्यटक, ऋषि भट्ट, जो ज़िपलाइनिंग कर रहे थे, ने अनजाने में हमले का वीडियो रिकॉर्ड किया। |
| दोपहर 12:30 | भारतीय सुरक्षा बलों ने क्षेत्र को घेर लिया और बचाव अभियान शुरू किया। |
| दोपहर 1:00 | हमलावर जंगल की ओर भाग गए; कुछ पर्यटक घायल अवस्था में पाए गए। |
| शाम 4:00 | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले की निंदा की और दोषियों को सजा देने का आश्वासन दिया। |
निष्कर्ष:
पहल्गाम हमला सिर्फ एक आतंकी वारदात नहीं, बल्कि उन चूकों की कहानी है जो हर बार हमसे कुछ छीन लेती हैं। एशान्या की गवाही में जो बातें सामने आई हैं, वे इस बात का संकेत हैं कि स्थानीय सहयोग के बिना ऐसी साजिशें अंजाम नहीं दी जा सकतीं। अब देखना यह है कि जांच एजेंसियां और सरकार इन संकेतों को कितनी गंभीरता से लेती हैं — और क्या भविष्य में ऐसे दर्दनाक हादसों को रोका जा सकेगा।